रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति ने नोटबंदी के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई में 10 से 15 आधार अंकों की कमी आने की उम्मीद जाहिर करते हुए आज नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया जिससे घर, कार और दूसरे ऋण के लिए ब्याज दरों में कमी की आश लगाये लोगों को निराशा हाथ लगी है। दो दिन की बैठक के बाद समिति ने आज चालू वित्त वर्ष की ऋण एवं मौद्रिक नीति की पाँचवी द्विमासिक समीक्षा जारी की।
आरबीआई ने बताया कि समिति ने सर्वसम्मति से नीतिगत दरों को कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो दर 6.25 फीसदी, रिवर्स रेपो दर 5.75 फीसदी तथा मार्जिनल स्टैंडिग फसिलिटी (एमएसएफ) और बैंक दर 6.75 फीसदी पर स्थिर है। सामान्य नकद आरक्षी अनुपात (CRR) को चार फीसदी पर स्थिर रखा गया है जबकि 16 अक्टूबर से 11 नवंबर के बीच बैंकों के पास बढ़ी तरलता पर अस्थायी रूप से बढ़ाकर 100 प्रतिशत किए गए सीआरआर की व्यवस्था समाप्त कर दी गयी है।
रिजर्व बैंक की ओर से जारी बयान में समिति ने कहा कि नोटबंदी के मद्देनजर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में खुदरा महंगाई में 10 से 15 आधार अंकों की कमी आने की उम्मीद है। हालांकि, चौथी तिमाही में खुदरा महंगाई 5 फीसदी के आसपास या इससे अधिक रहने की उम्मीद है। उसने कहा कि विकास को गति देने एवं महंगाई पर नजर रखने के मद्देनजर नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
उर्जित पटेल ने कहा कि नोटबंदी के फायदे मध्यम तथा दीर्घ अवधि में देखने को मिलेंगे। काफी हद तक असली नोटों के समान नकली नोट बाजार में आ जाने से इस समस्या से निपटने के लिए नोटबंदी जरूरी हो गयी थी। महात्मा गांधी सीरीज-2016 के नोटों में अद्यतन सुरक्षा मानक हैं जिनकी नकल करनी मुश्किल होगी। उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और कर संग्रह बढ़ेगा जिससे सार्वजनिक निवेश में वृद्धि होगी। ये सब फायदे वर्तमान में नोटों की छपाई पर आने वाली लागत के मुकाबले कहीं ज्यादा है।
पटेल ने कहा कि नये नोटों की छपाई अभी पूरे जोरशोर से चल रही है। पिछले दो सप्ताह के दौरान 100 रुपये तथा 500 रुपये के नोटों की छपाई की प्राथमिकता बदली गयी है जिससे जल्द लोगों समस्याएं दूर हो जाएगी। इससे सेवा क्षेत्र में निर्माण, व्यापार, परिवहन, होटल तथा संचार गतिविधियाँ अस्थायी रूप से प्रभावित हुई हैं। इससे नवंबर-दिसंबर में औद्योगिक गतिविधियों पर भी थोड़ा-बहुत प्रभाव पड़ा है। नोटबंदी के बाद से 02 दिसंबर तक प्रचलन में मौजूदा मूल्य में 7.4 लाख करोड़ रुपये मूल्य की कमी दर्ज की गयी है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई में लगातार तीसरे महीने अक्टूबर में कमी आयी है। मुख्यत: सब्जियों की कीमतों में उम्मीद से अधिक कमी की वजह से ऐसा हुआ है। हालांकि, माह दर माह आधार पर सभी वर्ग की महंगाई में तेजी देखी गई है। साथ ही कई वस्तुओं विशेषकर चीनी, आटा और प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई तेजी पर भी समिति ने चर्चा की है। नवंबर में आपूर्ति से जुड़ी बाधाओं के बावजूद नोटबंदी के मद्देनजर कीमतें कम हुई हैं।
हालांकि, गेहूं, चना और चीनी की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है। केन्द्रीय बैंक ने कहा कि नोटबंदी के मद्देनजर विकास में कमी आने का अनुमान है। इसी वजह से विकास अनुमान में आधा फीसदी की कटौती की गई है। साथ ही वर्तमान वैश्विक एवं घरेलू स्थिति को ध्यान में रखते हुए नीतिगत दरों को यथावत रखा गया है।
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